गजल!
संघियता लाई न फालेर शुरक्षित छैन देश,
बिदेशी रोग सदै अँगालेर शुरक्षित छैन देश।
हुँदैन बर्तमान ब्यबस्था ले जनताको भलो,
बुजुर्वाको थलो न ढालेर शुरक्षित छैन देश।
गाउँ सहरमै पुगिसके नव लैण्डुबेहरु आज
यस्ता दलाल लाई पालेर शुरक्षित छैन देश।
हुँदैन रत्ति पुँजीवादी बुजुर्वाको ताल छोपि,
छिया -छिया लाई टालेर शुरक्षित छैन देश।
धेरै मैलो भयो सडक देखुन सदन सम्म हेर,
देशभक्तले यो न पखालेर शुरक्षित छैन देश।
उठ जुट जनता देश जोगाउँने अभियान मा,
हामिहरुले शंघर्ष नथालेर शुरक्षित छैन देश।
राष्ट्र घातिका बिरुद्धनै गाउँ बश्ति उठ्नै पर्छ,
देशै भरीमा राँको नबालेर शुरक्षित छैन देश।
समरण गरौँ पुर्खेली अनि महान शहिद लाई,
त्यो मार्गमै आहुति नहालेर शुरक्षित छैन देश।
सुरेशकुमार पान्डे।०६-०६-२०२०,