अंग्रेजौँ कि तलवारका ढाल थे हम,
तभि जीतके लिए बेमिशाल थे हम।
आजाद कराया हमने मिलकर देश,
जबभी जरुरतपडी गढवाल थे हम।
बृटिश साम्राज्यको उखाड्ने केलिए,
शंघर्ष के मैदान मे नैनिताल थे हम।
जब मैदान मे गए बहादुरी के साथ,
अंग्रेजौँ केलिएतो महाकाल थे हम।
एक ने दश दशको मार गिराया था,
भुक और प्याससे बुराहाल थे हम।
डरे नहिँ मर्नेसे मरेतो वीर के भाँती,
वफादारी दुनिया के सवाल थे हम।
अंग्रेजको खदेड भारत मुक्त कराया,
सकुशल अप्ने बतनमे नेपाल थे हम।
सुरेशकुमार पान्डे।१२-०७-२०२०,